पारद शिवलिंग को लेकर हमारे शास्त्रों में स्पष्ट उल्लेख है–
केदारदोनि लिंगानि, पृथिव्यां यानि कानिचित्।
तानि दृष्ट्ंवासु यत्पुण्यतत्पुण्यं रसदर्शनात्॥
तानि दृष्ट्ंवासु यत्पुण्यतत्पुण्यं रसदर्शनात्॥
अर्थात्:-केदार आदि पवित्र तीर्थस्थलों से लेकर पृथ्वी तल पर जितने भी शिवलिंग हैं उनके दर्शन से जो पुण्य मिलता है वही पुण्य पारद निर्मित शिवलिंग से सहज में ही प्राप्त हो जाता है और भी कहा है –
स्वयंभूलिंग साहस्त्रैः, यत्फलं सम्यगार्यनात्।
तत्फलं कोटि गुणितं, रसलिंगाच्र्चनाद् भवेत्॥
तत्फलं कोटि गुणितं, रसलिंगाच्र्चनाद् भवेत्॥
अर्थात्:-जो पुण्य हजार स्वनिर्मित पार्थिव शिवलिंग के पूजन से होता है, उससे करोड़ गुना फल पारद शिवलिंग के पूजन से प्राप्त होता है। पारद के शिवलिंग को शिव का स्वयं भू प्रतीक भी माना गया है,ऐसी अद्भुत महिमा है पारद के शिवलिंग की। आप भी इसे अपने घर में स्थापित कर घर के समस्त दोषों से मुक्त हो सकते हैं।
पारद शिवलिंग का विशेष महत्व–
पारद को भगवान् शिव का स्वरूप माना गया है और ब्रह्माण्ड को जन्म देने वाले उनके वीर्य का प्रतीक भी इसे माना जाता है। धातुओं में अगर पारद को शिव का स्वरूप माना गया है तो ताम्र को मां पार्वती का स्वरूप। इन दोनों के समन्वय से शिव और शक्ति का सशक्त रूप उभरकर सामने आ जाता है। ठोस पारद के साथ ताम्र को जब उच्च तापमान पर गर्म करते हैं तो ताम्र का रंग स्वर्णमय हो जाता है। इसीलिए ऐसे शिवलिंग को सुवर्ण रसलिंग भी कहते हैं।
पारद के इस लिंग की महिमा का वर्णन कई प्राचीन ग्रंथों में जैसे कि रूद्र संहिता, पारद संहिता, रस मार्तण्ड, ब्रह्म पुराण, शिव पुराण आदि में पाया जाता है। योग शिखोपनिषद ग्रन्थ में पारद के शिवलिंग को स्वयंभू भोलेनाथ का प्रतिनिधि माना गया है। इस ग्रन्थ में इसे महालिंग की उपाधि मिली है और इसमें शिव की समस्त शक्तियों का वास मानते हुए पारद से बने शिवलिंग को सम्पूर्ण शिवालय की भी मान्यता मिली है ।
इसका पूजन करने से संसार के समस्त दोषों से मुक्ति मिल जाती है। कई जन्मों के पापों का उद्धार हो जाता है। इसके दर्शन मात्र से समस्त परेशानियों का अंत हो जाता है। ऐसे शिवलिंग को समस्त शिवलिंगों में सर्वोच्च स्थान मिला हुआ है और इसका यथाविधि पूजन करने से मानसिक, शारीरिक, तामसिक या अन्य कई विकृतियां स्वतः ही समाप्त हो जाती हैं। घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है।
पौराणिक ग्रंथों में जैसे कि ‘ रस रत्न समुच्चय ’ में ऐसा माना गया है कि 100 अश्वमेघ यज्ञ, चारों धामों में स्नान, कई किलो स्वर्ण दान और एक लाख गौ दान से जो पुण्य मिलता है वो बस पारे के बने इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही उपासक को मिल जाता है।
अगर आप अध्यात्म पथ पर आगे बढ़ना चाहते हों, योग और ध्यान में आप मन एकाग्र करना चाहते है और मुक्ति भाव की इच्छा हो तो आपको पारे से बने शिवलिंग की उपासना करनी चाहिए।
पारद एक ऐसा शुद्ध पदार्थ माना गया है जो भगवान भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय है। इसकी महिमा केवल शिवलिंग से ही नहीं बल्कि पारद के कई और अचूक प्रयोगों के द्वारा भी मानी गयी है।
धातुओं में सर्वोत्तम पारा अपनी चमत्कारिक और हीलिंग प्रॉपर्टीज के लिए वैज्ञानिक तौर पर भी मशहूर है। पारद के शिवलिंग को शिव का स्वयं भू प्रतीक भी माना गया है। रूद्र संहिता में रावण की शिव स्तुति के बारे में जब चर्चा होती है तो पारद के शिवलिंग का विशेष वर्णन मिलता है। रावण को रस सिद्ध योगी भी माना गया है और इसी शिवलिंग का पूजन कर उसने अपनी लंका को स्वर्ण की लंका में तब्दील कर दिया था।
कुछ ऐसा ही वर्णन बाणासुर राक्षस के लिए भी माना जाता है। उसे भी पारे के शिवलिंग की उपासना के तहत अपनी इच्छाओं को पूर्ण करने का वर प्राप्त हुआ था। ऐसी अद्भुत महिमा है पारद के शिवलिंग की। आप भी इसे अपने घर में स्थापित कर घर के समस्त दोषों से मुक्त हो सकते हैं। लेकिन ध्यान अवश्य रहे कि साथ में शिव परिवार को भी रख कर पूजन करें। पारद के शिवलिंग के पूजन की महिमा तो ऐसी है कि उसे बाणलिंग से भी उत्तम माना गया है। जीवन की समस्त समस्याओं के निदान के लिए पारद के उपयोग एवं इससे सम्बंधित उपाय अत्यंत प्रभावशाली हैं। यदि इनका आप यथाविधि अभिषेक कर, पूर्ण श्रद्धा से पूजन करेंगे तो जीवन में सुख और शान्ति अवश्य पाएंगे।
पारद शिवलिंग की भक्तिभाव से पूजा-अर्चना करने से संतानहीन दंपति को भी संतानरत्न की प्राप्ति हो जाती है। 12 ज्योतिर्लिंग के पूजन से जितना पुण्यकाल प्राप्त होता है उतना पुण्य पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से मिल जाता है।
पारद के कुछ अचूक उपायों का विवरण निम्नलिखित है, जिन्हें आप स्वयं प्रयोग कर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति कर सकते हैं:-
1. अगर आप अध्यात्म पथ पर आगे बढ़ना चाहते हों, योग और ध्यान में आपका मन लगता हो और मोक्ष के प्राप्ति की इच्छा हो तो आपको पारे से बने शिवलिंग की उपासना करनी चाहिए। ऐसा करने से आपको मोक्ष की प्राप्ति भी हो जाती है।
2. अगर आपको जीवन में कष्टों से मुक्ति नहीं मिल रही हो, बीमारियों से आप ग्रस्त रहते हों, लोग आपसे विश्वासघात कर देते हों, बड़ी-बड़ी बीमारियों से ग्रस्त हों तो पारद के शिवलिंग को यथाविधि शिव परिवार के साथ पूजन करें। ऐसा करने से आपकी समस्त परेशानियां ख़त्म हो जाएंगी और बड़ी से बड़ी बीमारियों से भी मुक्ति मिल जाएगी।
3. अगर आपको धन सम्पदा की कमी बनी रहती है तो आपको पारे से बने हुए लक्ष्मी और गणपति को पूजा स्थान में स्थापित करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि जहां पारे का वास होता है वहां माँ लक्ष्मी का भी वास हमेशा रहता है। उनकी उपस्थिति मात्र से ही घर में धन लक्ष्मी का हमेशा वास रहता है।
4. अगर आपके घर में हमेशा अशांति, क्लेश आदि बना रहता हो, अगर आप को नींद ठीक से नहीं आती हो, घर के सदस्यों में अहंकार का टकराव और वैचारिक मतभेद बना रहता हो तो आपको पारद निर्मित एक कटोरी में जल डाल कर घर के मध्य भाग में रखना चाहिए। उस जल को रोज़ बाहर किसी गमले में डाल दें। ऐसा करने से धीरे-धीरे घर में सदस्यों के बीच में प्रेम बढ़ना शुरू हो जाएगा और मानसिक शान्ति की अनुभूति भी होगी। पारद को पाश्चात्य पद्धति में उसके गुणों की वजह से Philospher's stone भी बोला जाता है। आयुर्वेद में भी इसके कई उपयोग हैं।
5. अगर आप उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं, हृदय रोग से परेशान हैं, या फिर अस्थमा, डायबिटीज जैसी जानलेवा बीमारियों से ग्रसित हैं तो आपको पारद से बना मणिबंध जिसे कि ब्रेसलेट भी कहते हैं, अच्छे शुभ मुहूर्त में पहननी चाहिए। ऐसा करने से आपकी बीमारियों में सुधार तो होगा ही आप शान्ति भी महसूस करेंगे और रोगमुक्त भी हो जाएंगे।
यह तो पारद का गुणगान हो गया परंतु इसके विशेष मंत्रो का ज्ञान बहोत कम लोगो के पास है,जैसे "क्लीं" बीजाक्षर पारद शिवलिंग को अपने उन शक्तियों को जाग्रत करता है जिससे आनंद ही आनंद निर्मित होता है । "ह्रीं" बीजाक्षर शक्ति तत्व को जाग्रत करके साधक को शक्तिमय बना देता है,"ऐं" बीजाक्षर तो स्वयं रासेश्वरी की शक्ति साधक के शरीर में अमृत के समान रक्त के माध्यम से बहने लगती है । "श्रीं " बीजाक्षर जाप से साधक संसार के समस्त प्रकार के साधना में किये जाने वाली उप्तत्ति के आधार से जुड़कर अपने कुंडलिनी शक्ति को जाग्रत करने में सक्षम हो सकता है । "ह्रौं" यह एकमात्र ऐसा बीजाक्षर है जो मृत्यु को हरा सकता है,पारद शिवलिंग के सामने इस बीजाक्षर जाप के माध्यम से कम्पन निर्मित होते ही है,सिर्फ जाप करने का सही ज्ञान होना आवश्यक तथ्य है ।
मै शिवभक्तों को पारद शिवलिंग देना चाहता हु परंतु उनमे कुछ पात्रता होना जरुरी है,जैसे वह शक्ति साधक होना चाहिए,उसको शिव जी के प्रति दृढ़ निष्ठा होना चाहिए,वह एक ऐसा साधक होना चाहिए जो प्रदोष काल में व्रत कर सके और हर महीने यह व्रत 2 बार आता है,साधक ऐसा हो जो अमावस्या के दिन किसी भी हालात में झूठ ना बोले,उसे नित्य शिवलिंग दर्शन करना चाहिए अगर वह घर से कही दूर जाए तो उसे मन ही मन पारद शिवलिंग को दिन में एक बार याद करके ध्यान करना चाहिये । यह सब गुण तो पारद शिवलिंग के उपासको के लिए अत्यंत आवश्यक है ।
आज आपको एक गोपनीय रहस्य बता रहा हु जो मार्केट में पारद शिवलिंग बेचने वाले नहीं जानते है,"ऋग्वेद-५, सूक्त-४२, ऋचा-११" ऐसा मंत्र है जिसके तीन बार पाठ करने से एक रुद्रपाठ का फल मिलता है,यह मैं नहीं कह रहा हु,यह तो स्वयं ऋग्वेद में लिखा हुआ है और यही मंत्र अगर पारद शिवलिंग पर बोलते हुए पंचामृत अभिषेक किया जाए तो त्वरित फल की प्राप्ति होती है । यहाँ आज मैंने ऐसा रहस्य बता दिया जो सिर्फ एक शिव-शक्ति उपासक ही बता सकता है,अन्य लोगो को सिर्फ धन कमाना है,उनको उपासना से कोई मतलब नहीं है ।
मै जब शिवलिंग बनाता हूँ तब उसमें सर्वप्रथम जिसके लिए बनाना है,उस व्यक्ति के नाम से संकल्प लेकर पारद शिवलिंग कार्य निर्माण शुरू करता हु और पूर्ण क्रिया होने के बाद जब तक उसमे मतलब पारद शिवलिंग के चमक में अपना चेहरा ना देखलू तब तक वह शिवलिंग मैं साधक को नहीं देता हूँ । हां,यह सच है के पारद शिवलिंग मे हम हमारा चेहरा देख सकते है क्युके असली पारे से बने हुए शिवलिंग में वह चमक होती ही है । पारद तो एक प्रकार के आईने के समान चमकदार होता है,आप जो काले हरे नीले रंग के चश्मे पहनते हो उस पर भी पारे का इस्तेमाल होता है,इसलिए आप अपने चश्मे में अपना चेहरा देख सकते हो । चमक यह तो पारद का एक सामान्य गुणधर्म है और अगर आपके घर में पारद शिवलिंग है और उसमें चमक नहीं है तो आप समझ सकते हो की वह किस प्रकार का पारद शिवलिंग है ।
पारद शिवलिंग का साधना बीज मंत्र और शाबर मंत्रो से करना शीघ्र फलदायी माना जाता है,आप जिससे भी पारद शिवलिंग प्राप्त करेंगे उसको आप बिना भूले ऐसे मंत्र प्राप्त करे जो बीजाक्षर युक्त हो या फिर वह कोई शाबर मंत्र हो । मैं जब किसीके लिये पारद शिवलिंग बनाता हूँ और अगर वह शिवलिंग मेरे हिसाब से अच्छा नहीं बनता है तो मैं उस व्यक्ति को उसके पैसे वापिस कर देता हूं,क्युके प्रत्येक व्यक्ति को मैं एक ऐसा शिवलिंग देना चाहता हु जो उसको शिवकृपा हेतु आवश्यक हो । आप चाहो तो मैं पारद शिवलिंग के साथ उसके प्राणिकता का सर्टिफिकेट भी भेज दू,जो सरकार मान्य किसी लैबोरेट्री में टेस्टिंग किया हुआ हो,ताकि आपके मन मे किसी भी प्रकार का भ्रम जन्म ना ले सके और आप पारद शिवलिंग साधना में जीवन को समर्पित कर सके ।
मेरे पास जो पारद शिवलिंग बनते है उसका मूल्य 65 रुपये पर ग्राम है,अगर आप 100 ग्राम का शिवलिंग ले सकते हो तो उसका मूल्य 6500 रुपये होगा । दीव-दमन के खाड़ी से प्राप्त किया गया पारा महेंगा होता है और वहा का पारा शिवलिंग बनाने हेतु अच्छा है,जर्मन पारा सस्ता होता है परंतु मेरे हिसाब से वह शिवलिंग बनाने हेतु योग्य नहीं है । मार्केट में जो पारद शिवलिंग मिलते है वह ज्यादातर जर्मन पारा से बनाते है,ऐसा शिवलिंग आरोग्य लाभ हेतु ठीक नहीं है ।
शिवलिंग तो 41,110 ग्राम से लेकर जितना चाहे उतने ग्राम तक बना सकते है परंतु गृहस्थ साधक को 11 तोले का शिवलिंग मतलब 110 ग्राम का शिवलिंग उपयुक्त है और इससे आगे 51 तोले का शिवलिंग सिद्धिप्रदाय माना जाता है और 125 तोले का शिवलिंग मोक्षप्रदाय माना जाता है । पारद शिवलिंग प्राप्त करने हेतू आप ईमेल के माध्यम से संपर्क कर सकते है।
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